Computer Fundamental Online Test
Question - 1
निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
साहनी एक ऐसी औरत होती है, जिसने अपने गाँव के घर को ही अपनी जिंदगी समझा। उसकी पूरी दुनिया ही उसका घर-बार था। जब साहनी को अपना घर और गाँव छोड़ कर जाना पड़ा तो मानो वह जीते जी ही मर गई थी। अपनी देहली और अपनी हवेली के कोने-कोने को पकड़ कर फूट-फूट कर रो रही थी। उस पर सेरा का दोमुखी व्यवहार भी उसे अखरता है। घर छोड़ते हुए जब थानेदार दाऊद खाँ उन्हें लेने आता है और उनसे अपनी बचे पैसों और सोने-चांदी के संदूकचे साथ ले जाने की बात कहता है तो साहनी बस यहीं कहती है कि ये यही की अमानत है और मैं इसे यहीं छोड़कर जा रही हूँ। साहजी की सारी जमा पूँजी को यहीं छोड़ कर साहनी दिल पर पत्थर रखते हुए विदा होती है और पूरे गाँव को आबाद एवं खुशहाल होने की दुआ देकर जाती है। अपने खेत-खलिहानों, अपनी हवेली अपनी जिदंगी की पूंजी को छोड़ कर जाती साहनी के लिए आसान न था। जिस शान से वह इस हवेली में आयी थी, उसी शान से साहनी हवेली अपने गाँव की हवेली से विदा लेती है। और सबको पीछे रोता छोड़ जाती है।
प्रश्न-1 : साहनी को किसे छोड़ कर जाना पड़ रहा था?