Computer Fundamental Online Test
Question - 1
निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
आज इस प्रभात की मीठी नीरवता में न जाने क्यों कुछ भयवान सा लग रहा है। वह पिछले पचास वर्षों से यहाँ नहाती आ रही है कितना लंबा अरसा है। साहनी सोचनी है, एक दिन इसी दरिया के किनारे वह दुल्हन बन कर उतरी थी। और आज साहजी नहीं, उसका वह पढ़ा लिखा लड़का नहीं, आज वह अकेली है, साहजी की लंबी-चौड़ी हवेली में अकेली है। पर नहीं यह क्या सोच रही है वह सवेरे-सवेरे। अभी दुनियादारी से मन नहीं फिरा उसका। साहनी ने लंबी सांस ली और “श्री राम, श्री राम” करती बाजरे के खेतों से होती घर की राह ली। कहीं-कहीं लिपे-पुते आंगनों से धुआँ उठ रहा था। टन-टन बैलों की घंटियाँ बज उठती हैं। फिर भी कुछ बंधा-बंधा सा लग रहा है। ‘जम्मीवाला’ कुआँ भी आज नहीं चल रहा। ये साहजी की ही असामियां हैं। साहनी ने नजर उठाई। सब मीलों फैले खेत अनले ही हैं। भरी-भराई पकी फसल को देखर साहनी किसी अपनत्व के मोह में भीग गई। सब साहजी की बरकतें हैं। दूर-दूर तक गाँवों तक फैली हुई जमीनें, जमीनों में कुएँ सब अपने हैं। साल में तीन फसल, जमीन तो सोना उगलती है। साहनी कुएँ की ओर बढ़ी, आवाज दी, “सेरे,सेरे, हसैना हसैना।”
प्रश्न-1 : कितने वर्षों से साहनी दरिया में नहाती आ रही थी?