Computer Fundamental Online Test
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Question - 1

निर्देश (1-5) : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।

 

“जैसे मैं जानता ही न होऊं! रात भर तुम अपने कम्बल उसे उड़ाते हो और आप सिगड़ी के सहारे रात गुजर करते हो उसके पहरे पर आप पहरा दे आते हो। अपने सूखे लकड़ी के तख्तों पर उसे सुलाते हो और आप कीचड़ में पड़े रहते हो। कहीं तुम न मंदे पढ़ जाना। जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरने वालों को मुरब्बे नहीं मिला करते हैं।”

 

“मेरा डर मत करो। मैं तो बुलेल की खड्ड के किनारे मरुंगा। भाई करतारसिंह की गोद पर मेरा सर होगा और मेरे हाथ के लगाए हुए आँगन में आम के पेड़ की छाया होगी।” वजीरासिंह ने त्यौरी चढ़ाते हुए कहा- क्या मरने-मरने की लगाई है। मारे जर्मनी और तुरक! हाँ भाइयों, कुछ गाओं। हाँ कैसे-

 

“दिल्ली शहर ते पिशौर नूं जांदिए,

कर लेणा लौंगा डा व्यौपार मंडिये,

कर लेणा नाड़ेदा सौदा अड़िये-

लाणा चटका कुदुए नूँ।”

 

प्रश्न-1 : “जैसे मैं जानता ही न होउ _______ ” क्या किसने कहा?