Computer Fundamental Online Test
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Question - 1

निर्देश (1 - 5) नीचे कुछ गद्दांश दिए गए है इनके आधार पर प्रश्नों के उत्तर दे-

बच्चन जी ने बहुत कष्ट देखे थे। बहुत संघर्ष किया था और महाकवि निराला की ही तरह आँसुओं को भीतर पीकर उनकी और सौन्दर्य में अपनी कविता को सोना बनाया था। स्पष्ट है, इस कष्टसाध्य प्रक्रिया से वही कलाकार गुजर सकता है जिसके भीतर दुर्धर्ष जिजीविषा हो। दिल्ली आकर विदेश मन्त्रालय में बडें अधिकारी के ठण्डे और हिन्दी –विरोधी तेवरों ने उन्हें खिन्न तो किया, लेकिन बच्चन जी ने फिर कविता का आश्रय लिया। अपनी आत्माकथा में उन्होंने लिखा है भला –बुरा जो मेरे सामने आया है, उसके लिए मैंने अपने को ही उत्तरदायी समझ है। गीता पढ़ते हुए मैं दो जगहों पर रुका। एक तो जब भगवान अर्जून से कहते हैं – अर्जून, आत्मवान बनों अर्थात् अपने सहज रुप से विकसित गुण – स्वभाव व्यक्तित्व पर टिको। दूसरी जगह जब वे कहतें हैं कि गुण स्वभाव-प्रकृति को मत छोड़ो। बच्चन जी, तुम भी आत्मवान बनों

Q. इस गद्दांश का उपयुक्त शीर्षक होगा